डी-कंपनी की अवैध इमारतें – 4 – खबरी बना रहा है अवैध इमारत मसजिद बंदर में
- पुलिस खबरी बना रहा है अवैध इमारत
- डी-कंपनी से जुड़े हैं खबरी के भाई
- उत्पाती राजनितिक दल का नेता है भागीदार
- खोटा शकील भी जुड़ा है अवैध इमारत बनाने में
विवेक अग्रवाल,
मुंबई, 13 दिसंबर 2015।
अहमदाबाद स्ट्रीट, मसजिद बंदर, मुंबई 3। यह वो पता है जहां इरफान बोबड़ा एक अवैध इमारत बना रहा है। जिस जगह पर ये अवैध इमारत बन रही है, वह लोहा मंडी का खुला भूखंड था।
इरफान बोबड़ा डी-कंपनी के एक सिपहसालार खोटा शकील का भाई है। पुलिस अधिकारियों का दावा है कि इरफान के खिलाफ हालांकी पुलिस या किसी जांच अथवा खुफिया एजंसी में कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है, लेकिन उसके बड़े भाई के डी-कंपनी से जुड़े होने के कारण ही वह ये इमारत बना पा रहा है।
इरफान इमामबाड़ा का निवासी है। उसके भाईयों पर कुछ आपराधिक मामले दर्ज हैं। वह पुलिस के लिए बतौर खबरी भी काम करता है, जिसके कारण उसके अवैध इमारत तामीर करने की शिकायतें मनपा और पुलिस थानों में जाने पर भी कार्रवाई से वह खुद को बचा लेता है।
पुलिस के एक आला अधिकारी के मुताबिक उसके साथ में एक उत्पाती राजनीतिक दल का एक स्थानीय पदाधिकारी राजेश भी जुड़ा है। वह इस अवैध इमारत की तामीर में भागीदार बताया जाता है।
इमारत बनाने और उसमें रकम लगाने का काम एक तरफ जहां इरफान देख रहा है, वहीं राजेश का काम मनपा व पुलिस अधिकारियों, फर्जी पत्रकारों, आरटीआई एक्टिविस्ट और शिकायत वीरों को पटाना है।
यहां का भाव 20 से 22 हजार रुपए प्रति वर्ग फुट का है। इस स्थान पर जो इमारत बनी है, उसे बेच कर या किराए पर देकर ये लोग कम से कम 2 करोड़ रुपए कमाई करेंगे।
बताते हैं कि यह जगह पहले आयरन मार्केट एसोसिएशन के कब्जे में थी, जहां लोहे के सरिए रखे जाते थे। पहले यहां के कुछ हिस्से पर दो मंजिला इमारत भी थी। अब यहां तल मंजिल और पहली व दूसरी मंजिल मिला कर कुल तीन मंजिला भवन तैयार हो चुका है। इसका इस्तेमाल बतौर गोदाम ही किया जाने वाला है।
कहा जा रहा है कि यहां पर हर महीना लगभग 10 लाख रुपए तो किराया आना तय है। यहां पर चीन से माल लाकर बेचने वाले कारोबारियों और व्यापारियों ने गोदाम बनाने शुरू कर दिए हैं। इन लोगों से आकार के हिसाब से 2 से ढाई लाख रुपए तक किराया वसूला जा रहा है।
खबर मिली है कि इस नई तामीर इमारत की कुल कीमत लगभग 6 करोड़ रुपए आंकी जा रही है। इसकी लीज खत्म हो चुकी है। हर माह बस पैसे भर कर इसकी लीज बढ़ा कर यहां पर चुपचाप इमारत तामीर करवा दी है।
बताते हैं कि पहले इस इमारत की तल मंजिल पर टायर के पंक्चर बनाने की एक दुकान थी. उसके मालिक को 5 लाख रुपए देकर जबरन दुकान खाली करवा ली है।
बताते हैं कि सन 2014 में खोटा शकील उमराह के लिए मक्का-मदीना गया था। इसके लिए उसने छोटा शकील के नाम का टोपा किया था। स्याह सायों के संसार में टोपा करने का मतलब होता है कि किसी को धोखा देना। असल में खोटा शकील ने मुंबई में कुछ लोगों से कहा कि छोटा शकील को कराची रकम भेजनी है लेकिन उसने रकम मुंबई से उठा तो ली, कराची भेजी नहीं। इस रकम का इस्तेमाल उसने उमराह में कर लिया था।