Rave Party Mafia 01: नशे और वासना का कॉकटेल
रेव पार्टी याने हंगामा, मौज-मस्ती, लड़कियां, नशा, पैसा, ताकत। मुंबई में रेव पार्टी सभ्य समाज के कोढ़ सरीखा है। एक रेव पार्टी ने तो सभ्यजनों के खेल क्रिकेट को भी कलंकित कर दिया। आईपीएल को इसके बाद से ही ‘इंडियन पाप‘ लीग भी कहा जाने लगा। होटल ओकवुड प्रीमियर के रूफटॉप रेस्तोरां अजोक के बारे में मशहूर है कि यहां बड़ी-बड़ी फिल्मी हस्तियों के हर रोज नकाब और कपड़े दोनों उतरते हैं। मस्ती माफिया रेव पार्टियां आयोजित करता है। पूरे देश में मस्ती माफिया विस्तार पा चुका है। मुंबई, दिल्ली, बंगलुरू, कोलकाता, चेन्नई ही नहीं इंदौर, रायपुर, भोपाल, लखनऊ, पटना, रांची जैसे छोटे शहरों में भी आम चलन में आ चुकी मस्ती माफिया की रेव पार्टियों के सनसनीखेज संसार की सैर पर चलें विवेक अग्रवाल के साथ।
“सर एकदम धमाल काम आएला है… देखने का है क्या…”
“बिल्कुल देखूंगा… ऐसा कभी हुआ है कि आपने कुछ दिखाना चाहा हो… और मैंने देखा नहीं… जब आप कहें कि काम धमाल है, तो उसमें कमाल जरूर होगा… बताइए कहां मिलें…” जीवन (विशेष आग्रह पर नाम परिवर्तित) से मैंने भी उतने ही उत्साह से कहा, जितनी उत्साह से लबरेज आवाज फोन पर सुनी।
“तुम किदर हो अबी…”
“ऑफिस में…”
“मैं अंधेरी स्टेशन पर है… रिक्शा लेके तुम्हेरे पास आता है… 5 मिनट बाद मेरे कूं हाफिस के नीच्चू मिलो…” जीवन ने हुकुम दनदनाया।
“जो हुकुम सरकार का…” मैंने थोड़े मजाकिया लहजे में कहा।
“क्या सर तुम भी…” बेचारा जीवन थोड़ा झेंप सा गया।
मैंने तुरंत कंप्यूटर बंद किया। मोबाइल और डायरी हाथ में थामे। हमेशा की तरह जूते उतार कर बैठा था, सो जूते पहने। पानी पिया। दफ्तर के बाहर की राह पकड़ी।
दूसरी मंजिल पर दफ्तर था तो लिफ्ट का इंतजार करना बेवकूफी होती। बरास्ते सीढ़ियां नीचे उतरा। दफ्तर की इमारत से बाहर निकल कर वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर मुख्य दरवाजे के बाहर जीवन का इंतजार करने लगा।
5 मिनट बाद वाकई जीवन प्रकट हुआ। रिक्शा में बैठते ही जीवन से बात करनी चाही। उसने इशारे से मना कर दिया। मैं चुप हो गया।
रिक्शा ड्राइवर को जीवन सड़क पर मर्जी से दाएं-बाएं ले जाता रहा। एक जगह अचानक रिक्शा वाले से कहा कि रुक जाए।
मैं नीचे उतरा तो पीछे-पीछे जीवन भी नीचे उतर आया। जेब में हाथ डाल कर जीवन एक तरफ खड़ा हो गया। ये संकेत है कि रिक्शे वाले को पैसे मुझे चुकाने हैं। अपनी जींस की पिछली जेब से वॉलेट निकाला। रिक्शे वाले को मीटर की रकम चुकता कर रवाना किया।
जीवन रिक्शेवाले को तब तक जाते देखता रहा, जब तक आंखों से ओझल ना हो गया।
इसके बाद जीवन ने दाहिनी तरफ की एक पतली गली पकड़ी। मैं भी उसके साथ ही चल दिया। वह पैदल ही साथ कुछ दूरी चला। एकदम खामोश। मेरे मन में हचलच मची है कि वह क्या खबर लाया है। वह भी धमाल मचाने वाली खबर।
गली पूरी तरह सुनसान है। जीवन के लिए बातचीत करने का सबसे अच्छा यही ठिकाना है। वह अमूमन किसी होटल या रेस्तोंरा में बात करने से बचता है। उसे कुछ खास बात करनी होती है तो सुनसान सड़क पर पैदल चलते हुए बेहतर मानता है। मैं जानता हूं कि वह ऐसा क्यों करता है। एक तो यह कि कोई उसकी बात सुन नहीं सकता। दूसरा यह कि मेरे जैसा शरारती पत्रकार चाहे भी तो उसे स्टिंग नहीं कर सकता। आकिर बाजू में चलता बंदा स्टिंग कैसे करेगा।
वह आगे बढ़ता चलता रहा।
“सर आज रात मड मार्वे में दरिया किनारे बड़े बंगले पे फिल्म का शूटिंग होएंगा…”
“अरे यार जीवन आप भी ना… एक फिल्म की शूटिंग के लिए इतना रायता क्यों फैलाया…” मैं उसकी बात से बुरी तरह भन्नाया।
यह सुन कर जीवन हंसा।
“सर तुम भी ना कबी-कबी एकदम जल्दी करते हो… पूरी बात तो सुनो… दिमाग का दही ना हो जाए तो मुझे बोलना…” जीवन धीरे से बोला।
“ओह सॉरी… आप सही कहते हैं… मैंने वाकई जल्दबाजी की… बताइए क्या सिलसिला है…”
“सर बंगले में पूरी रात शूटिंग चलेंगी… लेकिन वो शूटिंग नईं होएंगी… रियल में वो रेव पार्टी होंएगी…”
“अरे यार आपके बंदे ने मजाक किया होगा… रेव पार्टी की शूटिंग होगी… आपको उल्टी गाड़ी पर चढ़ा रहे हैं…”
“नहीं सर, सच में रेव पार्टी है… पुलिस के लफड़े से बचने कूं शूटिंग का झोल किएला है…”
“कैसे मालूम…”
“उधर जो डीजे जाएंगा ना… वो अपुन का एकदम फास्ट फ्रेंड है… वोई बोला…”
“क्या बोला…”
“बोला कि उसकूं एकदम झकास गाना-वीना बजाने का है… एकदम रेव पार्टी का माफिक सबकूं नशा चढ़ना मंगता है…”
“लेकिन डीजे तो उनका अपना होता है… वो बाहरी आदमी पर भरोसा नहीं करते हैं…”
“ऐईसा नईं है सर… उनके वास्ते एक बार पैले भी वो ऐईसा किएला है…”
“अच्छा… और क्या…”
“उसकूं बोले कि किसी को पार्टी का बोलने का नहीं… और पेमेंट डबल देने का बोले…”
“ये तो वाकई सीरियस मामला है…” मेरी पेशानी पर बल पड़ गए।
“मैं बोला ना सर तुमकूं…”
“तो अब क्या इरादा है…”
“सर कड़क नोट गिरेंगी… अपुन डीसीपी साहब को बोला है… अबी उनकूं मिल के आ रेला ए… अपुन अंदर रहेगा अपना डीजे वाले दोस्त के साथ… बाहर टीम फील्डिंग लगाएंगा… अपुन का सिग्नल लेके उधर रेड गिराएंगा…”
“बहुत बढ़िया… मुझसे क्या चाहते हैं बताएं…”
“तुमको अंदर चलने का है, तो ले के जाएंगा…”
“कैसे…” मेरे होश गुल। खुशी से अंदर तक फड़फड़ा गया।
“उदर लाइटिंग करने को अपुन का फ्रेंड जाएगा… उसकूं बोल के तुम्हारा सिस्टम भी फिट करेंगा…”
“जीवन यार आपकी खोपड़ी का तो कमाल नहीं… हर मर्ज की दवा है आपके पास… वाह क्या बात है…” मेरी खुशी का पारावार नहीं। एक रेव पार्टी। उस पर छापा। हर घटना आंखो देखी। एकदम लाईव। मजा ही आ जाएगा।
बात तय हो गई। जीवन ने मेरे सामने ही अपने दोस्त को फोन करके मेरे बारे में बता दिया। रेव पार्टी में मेरे जाने का इंतजाम हो गया।
शाम 6 बजे ही हम रेव पार्टी वाले ठिकाने पर मौजूद थे। अंदर तैयारियां चल रही हैं।
जीवन बड़ी सावधानी से चारों तरफ घूम रहा है। वह देख रहा है कि बंगले से बाहर भागने के कौन-कौन से रास्ते हैं। अंदर आने के रास्तों की भी पूरी जानकारी अपने दिमाग में बैठाता रहा।
जीवन ने बाथरूम में जाकर तमाम जानकारी का नक्शा कागज पर बनाया। मावा (तंबाकू का गुटका) लाने के बहाने दुकान पर खड़े पुलिस वाले को कागज थमा कर लौट आया। जीवन के काम करने का तरीका बिल्कुल मक्खन है।
रात नौ बजे से लोगों का आना शुरू हो गया। धीरे-धीरे शराब-कबाब शुरू हुए।
लगभग 11 बजे होंगे कि चरस-गांजा-कोकीन जैसे ड्रग्स भी शुरू हो गए। पार्टी में शामिल लोग एक तरफ ट्रांस म्यूजिक और शराब के नशे में धुत्त हैं, ड्रग्स ने उन्हें गहरे नशे में पहुंचा दिया।
अब तक नाचती लड़के-लड़कियों के जिस्म से कपड़े कम होने लगे थे। सिर्फ पेंटी या अंडरवियर ही दिख रहे थे।
लगभग 1 घंटे बाद ये कपड़े भी तन से जुदा हो गए। पूर्ण निर्वस्त्र लड़के-लड़कियां चारों तरफ नाचने लगे। माहौल खतरनाक हो चुका है। एक किस्म का पागलपन छा गया।
ये दुनिया मैंने तो पहली बार देखी है। अब सुना बहुत था। आज पहली बार उसके बीचों-बीच मौजूद हूं। अंदर से घबराने लगा कि कोई अनहोनी ना हो जाए। कोई स्वीमिंग पूल में डूब न मरे। कोई ड्रग्स के ओवर डोज से न मर जाए। पगलाई भीड़ से लड़के आपस में लड़कियों के लिए न लड़ मरें। ऐसा कुछ हो तो नहीं रहा लेकिन धड़कनें बढ़ी हुई हैं।
इस हंगामे में जीवन के हाथों से रूमाल छूट कर जमीन पर गिरा। कुछ ही क्षणों में चारों तरफ से पुलिस वाले मधुमक्खियों की तरह अंदर आ घुसे। कुछ वर्दी में हैं, कुछ मफ्ती में। कुछ पहले से अंदर ही मौजूद हैं। कुछ पुलिस वालों ने पिस्तौलें भी निकाल कर तान दीं। नशेड़ियों का क्या भरोसा, कोई हमला ही कर दे।
पार्टीबाजों में तो किसी को समझ न आया कि हो क्या रहा है। मस्ती माफिया के बंदों में भी भगदड़ मच गई।
पल भर में मस्ती का माहौल मातम में तब्दील हो गया।
पुलिस ने लगभग 238 लोगों को हिरासत में ले लिया। वहां से ढेरों ड्रग्स मिले। कंडोम के पैकेट भी थे। शराब और बीयर की पेटियां भरी हुई थीं। सब पुलिस ने जब्त कर लीं। नकद रकम न के बराबर मिली।
हिरासतियों में जीवन के साथ हम सब भी थे। एक जीप में बैठा कर हमें अलग से डीसीपी ने रवाना कर दिया। हम थाने के बदले अंधेरी दफ्तर पहुंचे। वहां से सब अपने-अपने घर निकल गए।
रेव पार्टी आयोजक ने पुलिस को बताया कि पार्टी के पास की कीमत पांच हजार रुपए थी। इसमें खाना-शराब मुफ्त थे। ड्रग्स के लिए पार्टीबाजों को पैसे अलग से देने थे।
पार्टी के इनविटेशन कार्ड छाप पर बाकायदा उनके ठिकानों पर पहुंचाए। इनविटेशन कार्ड पहुंचाने के पहले हर एक से फोन पर ही कंफर्मेशन ले ली। जिसे जितने कार्ड चाहिए, उतनी रकम नकद में कार्ड देते समय ही ले ली। हर पार्टीबाज को यह चेतावनी 10 बार सुना दी कि पार्टी के बारे में किसी को न बताएं।
इस रेव पार्टी के बारे में जब देश भर के अखबारों में खबरें छपी तो हंगामा खड़ा हो गया। मेरे पास पूरी खबर का बेहतरीन एक्सक्लूसिव आंखों देखा हाल था। मेरी खबर तो सबसे शानदार बननी ही थी। वह भी जीवन की बदौलत।
अगले ही दिन इस सफल छापामारी के बदले जीवन की जेब पुलिस वालों ने भर दी। डीसीपी साहब समेत कई पुलिस अफसरान से खूब तारीफ और शाबाशी मिली।
अगली रात जीवन के जीवन में एक शानदार दावत मेरी तरफ से भी आई, जो उसके लिए पुलिस की मोटी रकम और शाबाशी से कहीं बढ़ कर थी।
जारी…
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