व्यापम घोटाला: अब सीबीआई के तरीके पर उठे सवाल
संवाददाता,
भोपाल, 26 सितंबर।
व्यापम घोटाले की जांच हाथ में लेने के बाद गुरुवार को सबसे बड़ी छापेमारी करने वाली सीबीआई पर भी सवाल उठना शुरू हो गए हैं। सबसे पहला सवाल यह है कि एक ओर जहां सीबीआई राज्यपाल रामनरेश यादव के बेटे और ओएसडी धनराज यादव के घरों पर छापा मारने के लिए लखनऊ और इलाहाबाद तक पहुंच गई, वहीं दूसरी ओर उसने मुख्यमंत्री के पूर्व सचिव प्रेम प्रसाद से पूछताछ तक नहीं की।
यही नहीं, पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, भाजपा नेता सुधीर शर्मा, व्यापम के अधिकारी नितिन महेंद्रा, पंकज त्रिवेदी, कॉंग्रेस नेता सुधीर शर्मा, एक पुलिस महानिरीक्षक के भाई भरत मिश्रा के घरों पर तो छापे मारे, लेकिन उन बड़े लोगों को छोड़ दिया जो इस घोटाले में शामिल रहे हैं और इस समय जमानत पर हैं।
व्यापम से जुड़े सूत्रों के मुताबिक सीबीआई भी एसटीएफ की तर्ज पर ही चल रही है। वह इस मामले में फरार गुलाब सिंह किरार की तलाश नहीं कर रही है। सीबीआई ने न ही जमानत पर चल रहे प्रेम प्रसाद से पूछताछ की। आरोप है कि प्रेम ने अपनी बेटी का गलत ढंग से मेडिकल में प्रवेश दिलाया था। उन्हें एसटीएफ ने न जाने किसी नामालूम कारण से गिरफ्तार ही नहीं किया था और उन्होंने जिला अदालत ने अग्रिम जमानत हासिल कर ली थी।
एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किए भाजपा नेता अजय शंकर मेहता, एक सेवानिवृत्त डीआईजी के दामाद दीपक यादव, डीमैट से जुड़े रहे योगेश उपरीत के अलावा कुछ बड़े लोगों को अभी तक सीबीआई ने छुआ भी नही हैं।
सीबीआई राजभवन तक भी नहीं पहुंच पाई है जबकि राज्यपाल रामनरेश यादव पर भी व्यापम घोटाले में शामिल होने के आरोप लगते आ रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि सीबीआई उन लोगों की सूची बना रही है, जिन्हें एसटीएफ ने अभयदान दिया था। जल्दी ही इनके खिलाफ भी जांत शुरू होने के संकेत सीबीआई अधिकारी दे तो रहे हैं, लेकिन कब तक, यह नहीं बता पा रहे हैं।
इस बीच यह भी जानकारी सामनने आ रही है कि गुरुवार के छापों में सीबीआई को दो लोगों के घरों से ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जिनसे व्यापम घोटाले से हासिल धन के विदेश में निवेश करने के भी कुछ संकेत मिले हैं। यह बात और है कि सीबीआई अभी तक सिर्फ छापों की जानकारी दे रही है, छापों से क्या हासिल हुआ है, यह नहीं बता रही है।
Source: Attack News, Ujjain