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पालघर मॉब लिंचिंग: अब जातीय घृणा की मॉब लिंचिंग

विवेक अग्रवाल

मुंबई, 21 अप्रैल 2020

पालघर की मॉब लिंचिंग वाली घटना पर सियासी घमासान जारी है। इसे सियासी रंग देकर वोट की फसल काटने की कोशिश खूब हो रही है। इसमें महज महाराष्ट्र ही नहीं अन्य राज्यों से केंद्र तक के नेता शामिल हो गए हैं।

पालघर के गांव में जूना अखाड़े के दो संन्यासियों सुशीलगिरि महाराज एवं चिकने कल्पवृक्षगिरि महाराज की हत्या पर महाराष्ट्र सरकार को चहुंओर आलोचना का शिकार होना पड़ा है। इन हालात में सब कुछ गड्डमड्ड हो गया है। तथ्यों और तर्कौं से परे, यह साबित करने की पहले ही दिन कोशिश हुई की इस घटना में मुस्लिमों का हाथ है। उसके साथ ही कुछ लोगों ने इसे इसाईयों की कारस्तानी करार दिया।

जब यह खेल बिगड़ गया तो साम्यावादियों को कोसने का खेल शुरू हो गया। दूसरी तरफ भाजपा कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को राजनीतिक रंग देने की कोशिश करार दिया।

जातीय रंग देने की कोशिश

गड़चिनचले गांव में मॉब लिंचिंग की खबर जंगल में आग की तरह फैली। वीडियो और तस्वीरें फैलने लगीं। लोगों ने इसे जातीय रंग देना शुरू कर दिया। कुछ ने मुस्लिमों तो कुछ ने इसे इसाईयों का हमला करार दिया।

विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीराज नायर ने इसे बर्बर घटना बताते हुए इसकी जांच सीबीआइ से कराने की मांग की है। उन्होंने उन सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं अभिनेताओं पर भी निशाना साधा है, जो एक समुदाय विशेष से जुड़ी मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर मुखर हो उठते हैं।

विहिप के महासचिव मिलिंद परांडे ने घटना को वामपंथी इतिहास से जोड़ते कहा कि वामपंथियों का इतिहास ही ऐसी मॉब लिंचिंग का रहा है। स्वामी लक्ष्मणानंद महाराज की हत्या को देश भूला नहीं है।

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव व त्रिपुरा के प्रभारी सुनील देवधर ने कहा कि पालघर में जो पाप किया, वह चोर समझकर नहीं, बल्कि यह जानते हुए किया कि वे साधु हैं। पालघर क्षेत्र वर्षों से वामपंथियों का गढ़ है। इस क्षेत्र का विधायक भी सीपीआइ (एम) एवं एनसीपी गठबंधन का है। आदिवासी कभी भगवाधारी पर ऐसे हमला नहीं कर सकते। हमलावरों को आदिवासी न कहते हुए ‘मा‌र्क्सवादी हत्यारे’ कहना उचित होगा।

वामपंथी नेताओं व कार्यकर्ताओं ने कहा संबित पात्रा और सुनील देवधर जैसे लोग झूठ बोल कर मामले को जातीय रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। उनके मुताबिक गढ़चिंचले गांव की सरपंच भाजपा की चित्रा चौधरी हैं। घटना में कई भाजपा कार्यकर्ता गिरफ्तार हुएए हैं।

बंगाल से भाजपा की राज्यसभा सांसद और अभिनेत्री रूपा गांगुली खुद की मॉब लिंचिंग को इस घटना सो जोड़ कर एक किस्सा साझा किया। उन्होंने बताया कि वे भी मॉब लिंचिंग का शिकार होते एक बार बची हैं।

भाजपा का प्रहार

विपक्षी दलों ने ठाकरे सरकार को घेरा। भाजपा नेताओं ने सरकार पर हमला तेज कर दिया। देश भर से बीजेपी नेताओं की प्रतिक्रिया आईं।

भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर और साक्षी महाराज ने इसे सनातन धर्म पर हमला करार दिया।

सरकार का पलटवार

महाराष्ट्र सरकार ने पालघर मामले पर कड़ा रुख अपनाया। घटना पर ठाकरे सरकार ने साफ किया कि जातीय रंग देने वालों पर कड़ी कार्रवाई होगी।

महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने बयान जारी किया, ‘मॉब लिंचिंग घटना में तीन लोग बिना इजाजत दूसरे राज्य जा रहे थे। वे मुख्य सड़क से न जाकर ग्रामीण सड़क से जाने की कोशिश करते समय ग्रामीणों की पकड़ में आ गए। गांव वालों को लगा कि वे चोरी करने आए हैं। इस से उन पर हमला हुआ। तीनों की मौत हो गई।’

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने घटना पर कहा कि इसमें हिंदू-मुस्लिम जैसा कुछ नहीं है। इस बारे में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात हुई है। सबको इस बारे में बता दिया है कि धर्म से जुड़ा मामला नहीं है। जो भी सोशल मीडिया से आग लगाने और मामला भड़काने की कोशिश करेगा, उस पर कड़ा एक्शन लेंगे।

महाराष्ट्र सरकार ने घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए। राज्य सरकार ने जांच की कमान आईजी स्तर के अधिकारी को सौंपी है।

घटना कुछ ऐसे हुई

राज्य सरकार ने कहा कि वारदात आदिवासियों के गांव में हुई है, जो चोर-डाकुओं की अफवाह के बाद खुद गांव की चौकीदारी कर रहे थे।

पालघर जिले के दाभडी खानवेल रोड के ग्रामीण इलाके में चोर-डाकुओं के घुसने की अफवाह ने ज़ोर पकड़ा था।

15 अप्रैल 2020 की शाम ग्रामीणों ने एक सरकारी मेडिकल टीम को चोर समझ कर हमला किया। टीम में इंस्पेक्टर काले, एक डॉक्टर और तीन पुलिसकर्मी थे। बमुश्किल उन की जान बची।

16-17 अप्रैल की दरमियानी रात दाभडी खानवेल रोड के आदिवासी गांव गड़चिनचले में ग्रामीण पहरे पर थे। उसी रात कार गांव में पहुंची, जिसमें दो साधु थे।

महाराष्ट्र पुलिस के मुताबिक कार गांव में आते देख ग्रामीण सतर्क हो गए। कार रोकने के लिए कहा लेकिन रुकी नहीं, तो भीड़ ने पथराव शुरू किया। कार चालक ने मोबाइल से पुलिस को सूचना दी।

जैसे ही कार रुकी, भीड़ ने तीनों सवारों को नीचे उतार कर लाठी-डंडों से पीटना शुरू कया। इससे पहले कि वे कुछ बताते या समझाते, गांव वालों ने चोर-डाकू मान कर खूब पीटा।

जब ग्रामीण तीनों को पीट रहे थे, तभी पुलिस पहुंची। पुलिस ने ग्रामीणों को रोकना चाहा, भीड़ सुनने के तैयार न थी। भीड़ ने पुलिस पर भी हमला किया।

हमले में कासा पुलिस के अधिकारियों के अलावा जिले के एक सीनियर पुलिस अधिकारी भी घायल हुए। कुल पांच पुलिसकर्मी घायल हुए। पुलिस का एक वाहन क्षतिग्रस्त हुआ। भीड़ हमले में तीनों कार सवार मौके पर मारे गए। मौके पर भारी पुलिस बल आया। तीनों शव कब्जे में लेकर पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए भेजा।

पुलिस ने कहा

पुलिस के मुताबिक ग्रामीणों ने मॉब लिंचिंग का कारण बताया है कि ये तीनों नासिक की तरफ जा रहे थे। मृतकों के नाम चिकणे महाराज कल्पवृक्षगिरी (70), सुशीलगिरी महाराज (35) व निलेश तेलगड़े, ड्राइवर (30) हैं।

तीन से इस घटना के तमाम वीडियो सोशल मीडिया पर इस आरोप के साथ शेयर हो रहे हैं कि ये मुस्लिम समाज के ‘गुंडों’ का किया-धरा है। इसके पीछे सांप्रदायिक और धार्मिक साजिश है।

कुछ लोगों ने, इस वीभत्स घटना का वीडियो ट्वीट करते हुए दावा किया कि भीड़ “मार शोएब मार” चिल्ला रही है।

Mohit Bharatiya @mohitbharatiya_ ट्वीटर पर लिखते हैं, “इस वीडियो के लास्ट में बहुत ध्यान से सुनें, साफ़ साफ़ एक लड़का बोल रहा है, “ मार शोएब मार” (Listen carefully man inciting another Shoaib fr lynching Hindu saint “maar maar Shoaib maar”#Palghar_Incident)

फ़िल्म निर्देशक अशोक पंडित ने दो बार दावा कर दिया कि इस घटना में शामिल एक दोषी का नाम “शोएब” है।

सुदर्शन न्यूज़ के, एडिटर-इन-चीफ़, सुरेश चव्हाणके ने भी तुरंत दावा ठोंका कि उन्होंने वीडियो में “शोएब” शब्द सुना है।

दिल्ली भाजपा की ऋचा पांडे मिश्रा ने वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, “मार शोएब मार, मार डाल”।

‘याना मीर’ और ‘दिस पोसेबल’ ट्वीटर अकाउंट से भी ऐसे ही जातीय तनाव पैदा करने वाले ट्वीट हुए।

फ़ेसबुक पेज ‘ऑवर इंडिया’ ने वीडियो को सांप्रदायिक रंग देते हुए पोस्ट किया, जो फौरन ही 2 हजार से अधिक बार शेयर हो गया।

दोनों मृत व्यक्तियों की तस्वीरों के साथ सोशल मीडिया पर एक ग्राफ़िक शेयर हो रहा है। इसमें तो ‘ईसाई मिशनरियों के गुंडों’ को साजिश और हमले के लिए ज़िम्मेदार बताया है।

manoj bhai ने @ShriManoj9 ट्वीटर हैंडल पर लिखा है, “ #PalgharMobLynching… Sadhus R murdered by mobs in front of police। Police failing to protect them… Media shows little concern for their plight…In the land of Yoga, dis can’t be tolerated & all groups involved must be made strictly accountable#हिन्दू_संतों_की_हत्या_क्यों❓#Palghar”

Hasmukh Parmar ने @Parmar_Hasmukh_ में लिखा है – Did you here at 10 sec what I hear? #JusticeForHinduSadhus

वीडियो में “शोएब’’ है कहां

घटना के हासिल वीडियोज़ देखने के बाद यह समझ आता है कि कि लोग “बस ओये बस” चिल्ला रहे हैं। यह दावा कि शोएब नाम का एक बंदा इस हिंसा में शामिल है, तथ्यों से परे और आधारहीन है।

इन सवालों के जवाब मिलने बाकी हैं

सवाल बड़ा यह है कि जिन लोगों ने फौरन इस मामले तो शांतीदूतों या मुस्लिमों या इसाईयों की करतूत करार दिया था, महाराष्ट्र पुलिस क्या उन सभी को गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे ठूंसने का दुस्साहस कर पाएगी?

क्या अब सोशल मीडिया के मॉब लिंचिग एक्सपर्ट पर कानून का डंडा और हथौड़ा पड़ेगा?

कुछ सोशल मीडिया पोस्ट, जिनमें इस घटना को राजनीतिक रंग देने की कोशिश हुई, उनके स्क्रीनशॉट्स नीचे दिए हैं-

https://www.facebook.com/indiacrimenews/posts/2923043414589110

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